संवाददाता। लखनऊ
-समारोह में कुल 31940 विद्यार्थियों को उपाधियाँ एवं 26 मेधावियों को पदक प्रदान किया गया
-बच्चों को संस्कार देने में माताओं का विशेष योगदान
-विश्वविद्यालय की वास्तविक पहचान उसके उच्च स्तरीय शोध तथा गुणवत्तापूर्ण पठन-पाठन से होती है
-नए भारत के निर्माण के लिए विश्वविद्यालयों को नए ज्ञान का सृजन और विस्तार करना होगा
-राज्यपाल,आनंदीबेन पटेल
लखनऊ।
प्रदेश की राज्यपाल एवं राज्य विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति श्रीमती आनंदीबेन पटेल की अध्यक्षता में आज उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय, प्रयागराज का 19वां दीक्षांत समारोह सम्पन्न हुआ। समारोह में कुल 31,940 विद्यार्थियों को उपाधियाँ एवं 26 पदक प्रदान की गईं, जिसमें से 16 स्वर्ण पदक छात्राओं तथा 10 स्वर्ण पदक छात्रों को दिए गए। सभी उपाधियों को डिजीलॉकर पर अपलोड किया गया।
राज्यपाल जी ने कार्यक्रम में सभी उपाधि व पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों तथा उनकेे माता-पिता, अध्यापकों और विश्वविद्यालय की टीम के सभी लोगों को भी बधाई दिया। पदक प्राप्त करने में छात्राओं की संख्या अधिक होने पर उन्होंने कहा कि यह बेटियों द्वारा की जा रही मेहनत एवं दृढ़ इच्छाशक्ति को प्रदर्शित करता है। उन्होंने कहा कि बच्चों को संस्कार देने में माताओं का विशेष योगदान रहता है। माताएं अपने अनुभव से बच्चों का पालन पोषण करती है तथा बच्चों को संस्कारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
राज्यपाल जी ने मुक्त विश्वविद्यालय के अध्ययन केंद्रों में विद्यार्थियों की कम संख्या पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि यह चिंता का विषय है। उन्होंने प्रदेश के सभी जेलों में अध्ययन केंद्र खोलने एवं विश्वविद्यालय में ट्रांसजेंडरांे की शिक्षा पर भी विचार करने हेतु कहा।
राज्यपाल जी ने कहा कि विश्वविद्यालय को प्राप्त बजट का उपयोग विद्यार्थियों के कल्याण एवं नए-नए प्रोजेक्ट बनाने में किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार युवाओं के स्वरोजगार हेतु प्रतिवर्ष 1 लाख विद्यार्थिंयों को 10 लाख रूपये ब्याज मुक्त ऋण उपलब्ध करा रही है। इसके अलावा अगले 5 वर्षों में 1 करोड़ विद्यार्थिंयों को प्रधानमंत्री इंटर्नशिप योजना के तहत देश की शीर्ष कम्पनियों में काम करने का अवसर मिलेगा। इसके अलावा मौडल कौशल ऋण योजना के तहत 25 हजार विद्यार्थिंयों को प्रतिवर्ष 7.5 लाख रूपये ऋण उपलब्ध कराये जाने की सुविधा प्रदान की गयी है।
राज्यपाल जी ने कहा कि डिजीलॉकर में अंक तालिकाओं व डिग्रियों को अपलोड किए जाने की व्यवस्था से विद्यार्थिंयों को अत्यधिक सुविधा मिल रही है। उन्होंने समर्थ पोर्टल व्यवस्था की महत्ता के बारे में भी बताया।
कुलाधिपति जी ने कहा कि किसी भी विश्वविद्यालय की वास्तविक पहचान उसके उच्च स्तरीय शोध तथा गुणवत्तापूर्ण पठन-पाठन से होती है और वर्तमान समय में यह विश्वविद्यालय विश्व के श्रेष्ठतम विश्वविद्यालयों में अपना स्थान बनाने में तभी सफल हो पाएगा जब शिक्षण कार्यों तथा शोध के क्षेत्र में गुणवत्ता और उत्कृष्टता होगी। नए भारत के निर्माण के लिए विश्वविद्यालयों को नए ज्ञान का सृजन और विस्तार करना होगा। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों से यह भी अपेक्षा की जाती है कि वे गुणवत्ता और सुशासन के सही समन्वय के द्वारा शिक्षण, अनुसंधान और नवाचार में श्रेष्ठता हासिल करने की संस्कृति को विकसित करें, ताकि संस्थान और विद्यार्थीगण दोनों ही वैश्विक मानकों के अनुरूप अपना श्रेष्ठ प्रदर्शन कर सकें। उन्होंने कहा कि गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा न केवल छात्र-छात्राओं को बेहतर रोजगार के अवसर प्रदान करती है, बल्कि यह समाज के आर्थिक और सामाजिक विकास को भी प्रोत्साहित करती है। उच्च शिक्षा की गुणवत्ता को उत्कृष्ट स्तर पर ले जाने के लिये समय-समय पर गोष्ठियां एवं सेमिनार आयोजित किये जाने चाहिये। इससे विद्यार्थियों को अपनी प्रतिभा प्रदर्शित करने के अवसर प्राप्त होते हैं।
राज्यपाल जी ने कहा कि मजबूत एवं आत्मनिर्भर भारत का निर्माण हमारी वैश्विक सोच के केंद्र में है। आत्मनिर्भरता के लिए स्थानीय संसाधनों, अनुभवों एवं ज्ञान का उपयोग किया जाना चाहिए। स्थानीय संसाधनों का उपयोग करते हुए रिसर्च तथा इनोवेशन के माध्यम से स्थानीय विकास को बल प्रदान करके सभी विद्यार्थीगण अपनी शिक्षा को सही अर्थों में उपयोगी बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि इस बात पर सदैव ध्यान देना आवश्यक है कि हमारी शिक्षा का लाभ, हमारे व्यक्तिगत विकास के साथ-साथ समाज और देश को भी मिले।
इस अवसर पर राज्यपाल जी द्वारा विश्वविद्यालय, जिला प्रशासन प्रतापगढ़ एवं कौशाम्बी के साथ संयुक्त रूप से आंगनबाड़ियों के उपयोगार्थ कुल 250 किट प्रदान किए गए। प्रदेश में राज्यपाल जी की प्रेरणा से अबतक लगभग 17,000 आंगनबाड़ी केन्द्रों को आंगनबाड़ी किट का वितरण किया जा चुका है। इस अवसर पर उन्होंने प्राथमिक विद्यालय के बच्चों को स्कूल बैग एवं अन्य उपहार सामाग्री का वितरण किया तथा विभिन्न विद्यालयों में करायी गयी प्रतियोगिताओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले बच्चों को प्रशस्ति-पत्र देकर सम्मानित किया। इसके साथ ही विभिन्न विद्यालयों में अच्छा कार्य करने वाले प्रधानाचार्यों को भी सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर राज्यपाल जी ने आंगनबाड़ी किट प्रदान करने में सहयोगी संस्थाओं को बधाई देते हुए कहा कि आपका यह योगदान आंगनबाड़ियों को समर्थ बनाने के महायज्ञ में एक आहूति के समान है। इसका लाभ देश को मजबूत पीढ़ी के रूप में समाज को मिलेगा। उन्होंने कहा कि आंगनबाडी कार्यकत्रियों के लिए ऑनलाइन कोर्स की व्यवस्था होनी चाहिए।
इस अवसर पर मा0 मंत्री, उच्च शिक्षा विभाग श्री योगेन्द्र उपाध्याय ने मेडल एवं उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थिंयों को हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की। उन्होंने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य सामाजिक सरोकार होना चाहिए। उन्होंने कहा कि पर्यावरण का संरक्षण करना हम सब का दायित्व है तथा इसके लिए हम सभी को संकल्पित होकर कार्य करना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षा की सार्थकता तभी है जब उसका एक विजन हो।
इस अवसर पर मा0 राज्यमंत्री, उच्च शिक्षा विभाग श्रीमती रजनी तिवारी ने कहा कि एक नए राष्ट्र के निर्माण के लिए युवाओं को आगे आना होगा तथा वर्ष 2047 तक हमारे देश को पूर्ण विकसित बनाने के निर्धारित लक्ष्य में युवाओं की महती भूमिका होगी।
समारोह के मुख्य अतिथि केंद्रीय विश्वविद्यालय, दक्षिण बिहार, गया के कुलपति प्रोफेसर कामेश्वर नाथ सिंह ने डिग्री और मेडल पाने वाले मेधावियों से कहा कि यह डिग्री आपको तभी सफलता दिलाएगी जब आप कोई विजन लेकर आगे बढ़ेंगे। उन्होंने कहा कि ये विवेकानंद जी का देश है, युवाओं को उनके पद चिह्नों पर चलकर आगे बढ़ना होगा।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 सत्यकाम, जनप्रतिनिधिगण, विश्वविद्यालय के अध्यापकगण, जिला प्रशासन प्रयागराज, कौशाम्बी एवं प्रतापगढ़ के अधिकारीगण, उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थीगण, आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां तथा स्कूली बच्चे उपस्थित रहे।
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