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28 अगस्त को मिशन निदेशक कार्यलय में एकत्रित होंगे प्रदेश भर से लगभग 12000 CHO करेंगे अनिश्चित कालीन धरना


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संवाददाता। लखनऊ 
यदि CHO की मांगे नहीं मानी जाती है तो पूरा एनएचएम उतरेगा सहयोग में।
आप सभी को बताना हैं कि उत्तर प्रदेश की बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने में सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी यानि CHO तेजी से एक उभरते कैडर के रूप में अपना योगदान दे रहे हैं। 
सन् 2018 से शुरू AB-HWC की योजना के मुख्य स्तंभ जिन CHO एवं गाँव में उपलब्ध सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं को उस समय
 बमुश्किल लोग पहचानते थे, आज सभी CHO के अथक प्रयासों और निष्ठा पूर्वक कार्य के कारण आज वो स्वास्थ्य विभाग की रीढ़ बन चुके हैं। 
       कभी गाँव के वीरान पड़े उपकेंद्रों पर बिजली, पानी, शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाएं न होने के बावजूद हर प्रकार की स्थितियों से जूझते हुए (जिसमें महिला कर्मी भी शामिल हैं), लोगों को सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति जागरूक करते हुए, भीषण गर्मी में पानी, बिजली और पंखे के बगैर गाँव के लोगों के पास उपलब्ध मात्र टाट, पट्टी और पत्थरों पर बैठकर स्वास्थ्य सेवा देते हुए, खुद ही दवाओं को ढोकर लोगों के बीच उपलब्ध कराने, घर के सदस्य की भाँति लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं से जोड़ने, आशाओं, फील्ड वर्कर एवं ग्राम प्रधानों एवं प्रबुद्धजनों को साथ लेकर आम जन में बेहतर स्वास्थ्य की अलख जगाने, विभिन्न चरणबद्ध योजनाओ को तैयार कर उसे अमल में लाने, स्वास्थ्य सेवा संबंधी सामग्रियों की उपलब्धता सुनिश्चित करने, बेहतर नेतृत्व क्षमता एवं चिकित्सकीय कौशल के उपयोग करने और अपने बेहतरीन प्रदर्शन के बल पर आम जनमानस के स्वास्थ्य हेतु संजीवनी का काम कर रहे हैं। वहीं कई CHO साथी ऐसी चुनौती भरे स्थलों पर अपना सर्वश्रेष्ठ देकर राष्ट्रीय स्तर पर अपने कार्य का डंका बजा रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग की बड़ी से बड़ी चुनौतियों जैसे-
-सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं पर लोगों का अविश्वास, 
-उपकेंद्रों की खस्ताहाल स्थिति जहाँ की स्थितियाँ वीरान और दयनीय तथा बैठने लायक न थी उसे एक सुविधापूर्ण स्वास्थ्य केंद्र के रूप में विकसित करना, 
-बिखरी स्वास्थ्य सेवाओं का एक ही स्थान पर केंद्रीकरण,
-गैर संचारी रोगों की निःशुल्क स्क्रीनिंग एवं उपचार व्यवस्था, 
 -लोगों को घर के समीप एक सक्षम कर्मी द्वारा बुनियादी स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना,
- जन जागरुकता,
-frontline वर्कर्स के साथ समुदाय को साथ लेकर लीडरशिप,
-आशा,आंगनबाड़ी,(जो मात्र 8वीं पास हैं और जिन्हें तकनीकी शब्दों एवं अंग्रेजी भाषा की कम समझ थी ऐसे बुनियादी कर्मियों का इस स्तर तक कौशल एवं ज्ञानवर्धन किया जिससे वो आज एक तकनीकी कर्मी की तरह ऑनलाइन कार्यों को सहजता से पूरा कर रही हैं) का क्षमतावर्धन,
- स्वास्थ्य सेवाओं की online क्रांति जिसके लिए अनेकों manpower और अनगिनत टेंडर पर पैसे खर्च के भी कार्य अधूरा रह जाता था उनका निःशुल्क अद्युनांतीकरण , 
-नेटवर्क चुनौतियों एवं अनगिनत तकनीकी समस्याओं के बावजूद रिकॉर्ड ई-संजीवनी सेवा, 
-लोगों को निःशुल्क परामर्श एवं उपचार एवं अन्य निःशुल्क स्वास्थ्य सेवाओं को आमजनों को उनके घरेलू सदस्य जैसे व्यवहार के साथ प्रदान करते हुए स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति लोगों के विश्वास को अडिग किया है। 

वहीं कोरोना महामारी के दौरान जिस प्रकार निश्छल एवं अथक मेहनत से लोगों का मनोबल बढ़ाने, चिकित्सकीय सेवा प्रदान करने, समय पर दवा दिलाने, टीकाकरण जैसे बड़े और असंभव से लगने वाले कार्यों को इतने अविश्वसनीय समय में पूरा करके दिखाया है, उसका परिणाम है कि आज समुदाय स्तर की कोई भी सेवा एक CHO के बिना अधूरी है और उस कार्य में CHO का शामिल होना कार्य की संपूर्णता की गारंटी बन गया है। 
    परंतु इन सब के बावजूद कुछ ऐसे विषय हैं जो बेहतर कार्यों के बावजूद पीछे छूट गए हैं। लिखित परीक्षा के द्वारा चयनित होकर 6 माह की ट्रेनिंग और पुनः लिखित परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद ही तीन वर्ष के लाखों रुपए के surety bond जैसी कठोर चुनौतियों साथ जिम्मेदारी को अपना सर्वस्व मानकर आम जन मानस को बुनियादी सेवाओं को प्रदान करने वाले CHO की भी कॅरिअर उन्नति करना भी इस कार्यक्रम की मुख्य योजनाओं का हिस्सा था- 
-ओपरेशनल guideline के अनुसार कम से कम 4800 ग्रेड पे पर नियमितीकरण, 
-बुनियादी स्तर पर लोगों एवं समाज की सेवा के साथ कॅरिअर प्रोग्रेशन, 
-बेहतर कार्यों के साथ बेहतर भविष्य की रूपरेखा बनाकर अमल में लाने का वादा/वचन कार्यक्रम के शुरुआती समय में राज्य एवं केंद्र स्तर के लगभग हर अधिकारी द्वारा मुखर तरीके से प्रदान किया जाता था। 

परंतु इसे दुर्भाग्य या सिस्टम की दुर्दशा ही कहेंगे कि इतना कुछ करने के बाद भी CHO की जिम्मेदारियां तो बेतरतीब बढ़ती गयीं-
लेकिन career उन्नति और नियमितीकरण तथा CHO के व्यक्तिगत उन्नति को एक किनारे रख दिया गया। 
  आज प्रत्येक ROP में निहित अन्य समस्त कार्यों पर तो पूरा फोकस कर पूर्ण किया जाता है परंतु उसमें निहित -
-कैडर निर्माण, 
-नियमितीकरण और
-कॅरिअर विकास  
के बिंदुओं पर प्रदेश सरकार और संबंधित अधिकारियों की आँखें बंद हो गयी हैं। 
               एक ओर लगातार बढ़ते कार्यों और इन कार्यों के अलावा अन्य कई कार्यों में लगाकर जहाँ CHO से जी तोड़ काम लिया जा रहा है। 
CHO अकेला वो सारे कार्य करने को मजबूर है । जिस हेतु CHC या PHC स्तर के स्वास्थ्य केंद्रों पर अलग अलग कर्मचारी उपलब्ध होते हैं। चाहे वह HWC assistant या मल्टी पर्पज वर्कर हो,परामर्शदाता, दवा वितरण,रिकॉर्ड प्रबंधन,दवा लाना ले जाना,lab जाँच करना यहाँ तक कि सफाई जैसे काम को भी पूर्ण करने को वह मजबूर है। वहीं PBI बिंदु पर काम न पूरा होने और अनुपस्थित कर भुगतान काटे जाने का डर CHO में कूट कूट कर भरते हुए सबके द्वारा इनका अधिकारी मात्र बना जा रहा है। 
   ये सब कम था कि बेहतर कार्यों के पुरस्कार के रूप में उत्तर प्रदेश के CHO को online AMS उपस्थिति के लिए इस प्रकार से मजबूर किया गया जैसे CHO ही पूरे प्रदेश में कामचोर और अन्य समस्त नियमित, संविदा अधिकारी/कर्मचारी बिल्कुल ईमानदार और महान छवि के साथ प्रदेश को ऊँचाई पर ले जा रहे हैं। 
       बेहतर कार्य के बावजूद इस तरह के भेदभाव को लगातार पिछले कई वर्षों से सहते हुए CHOs ने संगठन के माध्यम से कई बार इस हेतु स्वास्थ्य मंत्री महोदय से इसे बेहतर किये जाने हेतु मुलाकात की और विभिन्न पत्र के द्वारा अवगत भी कराया । परंतु उनकी मनोदशा को दरकिनार करते हुए वर्ष भर में प्राप्त होने वाले लॉयल्टी बोनस पर भी केवल CHO हेतु रोक लगा दी गयी।
अब स्थिति ये है कि स्वास्थ्य विभाग की रीढ़ बन चुके चसCHOs स्वयं ही मानसिक रूप से विक्षिप्त होने के कगार पर है।
-आज हर CHO के मन में केवल ऐसे प्रश्न हैं
- क्या बेहतर और तल्लीनता से कार्य करना सरकारी विभाग में पाप है?
-क्या CHOs की अपनी कोई जरूरत नहीं है ?
-क्या नियमितीकरण और कॅरिअर विकास केवल कागज पर धूल फांकने के लिए है?
- क्या स्वयं स्वस्थ व सक्षम हुए बगैर आम जन मानस को स्वस्थ रखने में बेहतर योगदान दे पाना संभव है? 
- क्या CHO द्वारा किये गए कार्य अनुभव का लाभ या बोनस अंक किसी नियमित सरकारी सेवा में उपलब्ध है? 
- क्या सभी के स्वास्थ्य का ध्यान रखते के बाद स्वयं CHO या उसके परिवार हेतु कोई स्वास्थ्य बीमा या योजना है? 

आज UP का प्रत्येक CHO अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहा है और उसे जिम्मेदारों की ऐसी लापरवाही के कारण जूझना पड़ रहा है। 
- उत्तर प्रदेश की कर्मठ युवा शक्ति जो स्वास्थ्य के क्षेत्र में अनेकों कीर्तिमान स्थापित करने के लिए सक्षम और प्रयत्नरत है उसे पंगु बनाने में कोई भी कसर नहीं छोड़ी जा रही।
स्थिति तो इतनी है कि आज राज्य के अनेक अधिकारियों द्वारा CHO के शोषण एवं आर्थिक दुराचार की घटनाएं आये दिन प्रकाश में आती रहती हैं।
इन सब से तंग आकर, ऐसे दोहरे रवैये को समाप्त करने, कर्तव्य निभाने के साथ अधिकारों के प्राप्त करने , गलत के खिलाफ आवाज बुलंद करने , विभिन्न निवेदनों के बाद समाधान न मिलने के कारण आज प्रदेश के समस्त CHO कार्य बहिष्कार करने को विवश हैं। 

 *प्रदेश अध्यक्ष हिमालय कुमार ने बताया कि* आज प्रदेश का प्रत्येक CHO साथी अपने शोषण के खिलाफ न्याय पाने को आतुर है,इस अनदेखी और भेदभाव के खिलाफ एक साथ होकर अपना आधिकार प्राप्त करने के लिए,आनलाइन उपस्थिति केवल CHO पर लागू करने के तानाशाही आदेश के खिलाफ और केंद्र सरकार द्वारा कई बार निर्देशित करने के बावजूद धूल फांक रही कॅरिअर उन्नति एवं बेहतर कार्य का सम्मान प्राप्त करने हेतु कार्य बहिष्कार करने को CHO विवश हो चुके हैं। 
अतः पूर्व पत्रों एवं दिनांक 14/08/2024 से प्रदत्त पत्र पर कार्यवाही न होने एवं क्रमिक रूप से 21 जुलाई से 27 जुलाई तक डिजिटल strike के बाद भी समाधान न मिलने के कारण, अपनी निम्नलिखित मांगों के पूर्ण होने तक प्रदेश के समस्त CHO साथी दिनांक 28/07/2024 से अनिश्चितकालीन हड़ताल करने को मजबूर हैं-
1. AMS प्रणाली सरकारी विभाग के सभी कैडर के सभी प्रकार के अधिकारियों /कर्मचारियों पर लागू किया जाए।
2. उत्तर प्रदेश में राज्य संविदा कार्मिकों को रिजवी कमेटी द्वारा दिए गए सुझाव के अनुसार समान कार्य समान वेतन दिया जाता है ऐसी दशा में 4800 ग्रेड पे अनुरूप वेतन का निर्धारण तथा मँहगाई भत्ता भी दिया जाए इस अनुरूप वेतन निर्धारण NHM में अन्य राज्योों में किया जा चुका है ।जैसे मध्य प्रदेश, हरियाणा, बिहार, मेघालय, मणिपुर।
3. AMS लागू करने से पूर्व CHOs के भविष्य की स्पष्टता, नियमित कैडर निर्माण, 6 वर्ष पर नियमितीकरण का लाभ दिये जाने की कार्यवाही प्रारम्भ कराई जाए। जिस प्रकार महाराष्ट्र, राजस्थान में NHM नियमितीकरण का लाभ वर्ष 2024 में किया गया है।
4. AMS लगाने वाले कैडर हेतु अन्य विभागों या सरकारी कर्मियों की भाँति वर्ष भर में 30 EL की व्यवस्था कराई जाए।
5. सभी CHO को स्वैच्छिक स्थानांतरण का लाभ दिया जाए जिससे वह अपने गृह जनपद पहुँच सकें और बेहतर कार्य कर सकें ।
6. भारत सरकार के निर्देशों के अनुसार आयुष्मान आरोग्य मंदिरों को माह में कम से कम 20 दिन क्रियाशील होना है। अतः प्रत्येक माह समस्त AMS लगाने वाले CHO हेतु 8 निश्चित अवकाश प्रदान किये जाने की व्यवस्था करना (जिसमें रविवार एवं GH अलग से नहीं लिए जाएंगे ) , इससे सुदूर क्षेत्रों से आकर कार्यरत CHOs हेतु अवकाश प्राप्ति हेतु लाचार होने एवों अधिकारियों के शोषण पर लगाम लग सकेगी।
7. CHO का कार्य फील्ड का होता है। जिस वजह से कार्यस्थल से अलग रहकर भी कार्य करना होता है। ऐसी दशा में उपस्थिति वापस केंद्र पर जाकर लगाने में कठिनाहोती है।
योगेश उपाध्याय, प्रदेश महामंत्री संयुक्त राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कर्मचारी संघ उत्तर प्रदेश ने बताया कि AMS और अपनी मांगों को लेकर अदनोलन रत CHO का यदि समाधान नहीं किया जाता है तो पूरा NHM के एक लाख कर्मचारी इनके सहयोग में मांगो को पूर्ण कराने हेतु संयुक्त राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कर्मचारी संघ उत्तर प्रदेश के नेतृत्व में साथ में खड़े होंगे ।
 28 अगस्त 2024 को मिशन निदेशक कार्यालय पर प्रातः 10.00 बजे से मांगे न पूरी होने तक अनिश्चित कालीन हड़ताल होगा - हिमालय कुमार 
कार्यक्रम में संयुक्त एनएचएम संघ के प्रदेश महामंत्री योगेश उपाध्याय CHO संघ के प्रदेश महामंत्री जनक सिंह, प्रदेश सचिव नित्यम विश्वकर्मा, प्रदेश उपाध्यक्ष रामबाबू वर्मा, प्रदेश कोषाध्यक्ष हितेश, प्रदेश मीडिया प्रभारी प्रदीप राजपूत, जिला अध्यक्ष सीतापुर अतुल पाण्डेय, जिला अध्यक्ष लखनऊ ममता कुमारी, जिला महामंत्री रितु रानी सिंह, सदस्य संदीप तिवारी, इत्यादि उपस्थित रहे।

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