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जो कभी चलता नहीं वह क्या गिरेगा ,जो गिरेगा वही उठ -उठ चलेगा हर विफलता पर न तुम आंसू बहाओ ,हर सफलता का यही पहला चरण है-कर्नल रत्नाकर त्रिवेदी


संवाददाता।
बाराबंकी
20 यूपी गर्ल्स बटालियन एनसीसी लखनऊ द्वारा, श्री रामस्वरूप मेमोरियल यूनिवर्सिटी बाराबंकी ,में चल रहे ,संयुक्त वार्षिक प्रशिक्षण शिविर 217 ,का दसवां दिन दिनांक 11 जुलाई 2024 का दिन अत्यंत हर्ष ,उल्लास, महोत्सव, सफलता ,असफलता, विजय पताका, जोश व धैर्य का दिन था।
प्रशिक्षण सत्र का अंतिम दिन ट्रॉफी , मेडल्स, तालियों की गड़गड़ाहट, जीत में सर फक्र से ऊंचा होना, तो वही असफलता में धैर्य से कार्य लेना तथा रंगीनियत का दिन था। 
एनसीसी कैडेट्स के लिए सिखलाई सत्र का दसवां दिन अब तक का सबसे रोचक ,जानदार -शानदार व जिंदा- दिल दिन था। 
10 दिनों के प्रशिक्षण सत्र में एनसीसी कैडेट द्वारा जो सिखलाई ली गई उसके आधार पर पिछले 5 दिनों में जिन प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग किया गया उसके परिणाम को प्राप्त करने का दिन था।
जैसा कि प्रशिक्षण सत्र की शुरुआत में ही कमान अधिकारी के आदेश पर 450 एनसीसी कैडेट्स को मिलिट्री सिखलाई थीम के आधार पर चार कंपनियों में बांट दिया गया था। 
वह कंपनियां थी चिता, टाइगर, लैपर्ड व पैंथर । प्रत्येक कंपनी के एक कंपनी कमांडर नियुक्त किए गए थे और प्रत्येक कंपनी कमांडर्स के ऊपर एक कैडेट कैंप कमांडर नियुक्त किया गया था और प्रत्येक कंपनी के लिए एक विशेषज्ञ फौजी इंस्ट्रक्टर ।ऐसे में इन कंपनियों ने पूरी तरीके से मोर्चा संभाल लिया था 
और यह चार कंपनियों में बटे हुए एनसीसी कैडेट्स सिखलाई व प्रतियोगिताओं के सत्र में जी- जान झोंक कर उपलब्धियां हासिल करने में व विजय पताका फहराने के लिए अपना सर्वोच्च सामर्थ्य दिखाने में सफल रहे।
जितना जोश उत्साह एनसीसी कैडेट्स में देखने को मिला उससे ज्यादा जोश उत्साह कैंप कमांडेंट वह उनकी पूरी टीम के कार्यों में देखने को मिला।
संयुक्त वार्षिक प्रशिक्षण शिविर 217 के कैंप कमांडेंट कर्नल रत्नाकर त्रिवेदी की बात करें तो इनकी सूक्ष्म पेनी निगाह प्रत्येक जगह पर हुआ करती थी जिसका परिणाम है कि उनकी पूरी टीम पूरे जोश में बिना समय व्यर्थ किया एक नई ऊर्जा के साथ मौजूद रहती थी। 
कैंप कमांडेंट का सख्त निर्देश था की सिखलाई सत्र में पूरी प्रशिक्षण टीम को अपने आचरण व व्यक्तित्व से एनसीसी कैडेट्स को मोटिवेट करना होगा। 
कैंप कमांडेंट का अपने टीम को सख्त निर्देश था कि-
"यह छोटे बच्चे हैं यह हमसे यानी की इंडियन आर्मी से प्रेरित होकर के एनसीसी ज्वाइन किए हैं हमें इनको एक छोटा पौधा समझकर सिंचना होगा,मजबूत करना होगा इसके लिए हम में से प्रत्येक व्यक्ति की यह जिम्मेदारी बनती है कि हम इनको अपनी वाणी, अपने कार्य, अपनी आवाज और अपनी नजरों से प्रेरित करें। 
मुख्यतः जब हमारे पास 450 बालिका एनसीसी कैडेट्स हैं। 

" हम सौभाग्यशाली हैं कि हमें बालिका एनसीसी कैडेट्स को प्रशिक्षण देने का अवसर प्राप्त हुआ है। हम जो विश्वास उनके मन में बनाएंगे, जो प्रेरणा हम उनके मन में भरेंगे, जो सकारात्मक, जो निर्भरता व साहस इनके मन में डालेंगे वह ये एनसीसी कैडेट्स ता-उम्र लेकर चलेंगी। इसलिए हम सभी को एक उदाहरण बनकर पेश होना होगा व हमारे समस्त कार्य ऐसे होंगे जिससे इनका मनोबल ऊंचा हो व यह निडर बने।
संयुक्त वार्षिक प्रशिक्षण शिविर 217 का समापन दिवस कुछ यूं रहा की प्रत्येक दिवस की भांति एनसीसी कैडेट्ससे सुबह पीटी वह जुंबा डांस किया उसके बाद वह अपनी तैयारी के साथ पुरस्कार वितरण समारोह हेतु सभागार में बैठे और पुरस्कार वितरण कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। 
कैंप कमांडेंट कर्नल रत्नाकर त्रिवेदी के हाथों प्रत्येक कंपनी के चीफ इंस्ट्रक्टर व कैडेट्स को सम्मानित व पुरस्कृत किया गया।
ट्रॉफी बैनर व मेडल्स दिए गए। साथ ही साथ- कैंप में प्रतिभाग किए गए सभी सहयोगी एनसीसी अधिकारी जो कि लखनऊ शहर के विश्वविद्यालय, महाविद्यालय व विद्यालय में अध्यापक व प्रोफेसर हैं उन्हें भी प्रशस्ति पत्र दिया गया तथा उन्हें संबोधित करते हुए शिविर कमांडेंट ने उनका भी मनोबल ऊंचा किया।
जीत का एहसास लेने वाले एनसीसी कैडेट्स का जोश व मनोबल देखते ही बन रहा था बच्चों ने उत्सव को महोत्सव में बदल दिया था। 
वही जो लोग प्रतियोगिताओं में पीछे रह गई उन कैडेट्स से कैंप कमांडेंट ने अलग से बातचीत की उनको धैर्य रखना सिखाया तथा यह भी बताया कि इससे सीख लेनी है।
"जाओ, बैठो, मनन करो, गलतियों को ढूंढो व सोचो कि अब हमें किस रणनीति के साथ कैसे तैयारी करनी है कि हम सफल हो जाए" , और यह सोचो कि हमें पढ़ाई में कैसे अव्वल दर्जे का आना है हमें जिंदगी की कठिन परिस्थितियों में किस धैर्य से काम लेना है ,कैसे सफल लेना होना है और सकारात्मक विचारों से खुद को प्रेरित करो फिर तुम्हें सफल ही होना है"।
शिविर के दसवें दिन की शाम गीत ,नृत्य, पांव की थिरकन, दिल की धड़कन, शास्त्रीय संगीत, लोकगीत, लोक नृत्य, कविता कव्वाली, भजन व सरस्वती वंदना से ओत-प्रोत रही ।
एनसीसी कैडेट्स के सांस्कृतिक कार्यक्रम ने शाम को जोशुआ उल्लास से भरकर, सात रंगों में रंग कर रंगीन बना दिया। कैडेट्स के शाम की खुशियां देखते ही बन रहीं थीं।
सभी एनसीसी कैडेट्स बहुत प्रसन्नचित थे। सबने रंग-बिरंगे कपड़े पहने थे खूबसूरत हेयर स्टाइल बनाई थी और शाम को आनंदित होकर जी रहे थे। जब सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रतियोगिताओं का दौर खत्म हुआ उसके बाद कैंप कमांडेंट द्वारा प्रतियोगी कैडेट्स को मेडल पहनाकर कर, ट्रॉफी देकर सम्मानित किया गया ।
उसके बाद शुरू हुआ 450 एनसीसी कैडेट्स द्वारा फ्रीस्टाइल डांस अपने-अपने तरीके से अपनी अपनी मर्जी से खुद को आनंदित करने का दौर। और अनुशासन के साथ एनसीसी कैडेट्स ने नृत्य का आनंद लिया।
कैंप में जाते-जाते यह भी देखा गया की विदाई अवसर पर जब एनसीसी कैडेट्स अपने घरों को लौट रहे थे तो वह एक दूसरे में इतने घुल मिल गए थे, इतने आत्मीय हो गए थे कि एक- दूसरे को गले मिलकर बहुत रोए और फिर से मिलने का वादा किया।
उक्त जानकारी सूबेदार मेजर ओमप्रकाश व जीसीआई खुशबू तिवारी ने संयुक्त रूप से दी।

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