लखनऊ। मनुष्य की बड़ी समस्या है कि वह अपने चाहे जैसा भी रहे अपने बच्चों को बहुत ही सुशिक्षित, सुशील और संस्कारवान बनाना चाहता है। यह कैसे संभव हो सकता है कि जो लोग अपने स्वयं संस्कारवान नहीं हैं उनके बच्चे कहीं और से जाकर संस्कार सीख कर आयें। यह अपेक्षा करना ही गलत है।भजन में रहने वाले को दिन-रात का पता नहीं चलता !
जो मनुष्य भगवान में लग जाता है, भगवान में रम जाता है उसे समय का पता नहीं चलता है। आत्मिक सुख के रस में डूबा है वही व्यक्ति जिसके जीवन में निरंतर भजन बना हुआ है।
सरस् श्रीराम कथा गायन के लिए सर्वप्रिय प्रेममूर्ति पूज्य श्री प्रेमभूषण जी महाराज ने उक्त बातें लखनऊ के गोमती नगर विस्तार स्थित सीएमएस विद्यालय के मैदान में आयोजित नौ दिवसीय श्रीराम कथा के चौथे दिन व्यासपीठ से कथा वाचन करते हुए कहीं।
श्री रामकथा गायन के माध्यम से भारतीय और पूरी दुनिया के सनातन समाज में अलख जगाने के लिए सुप्रसिद्ध कथावाचक प्रेमभूषण जी महाराज ने प्रभु श्रीराम और अन्य भाइयों की बाल लीलाओं का गायन करने के क्रम में कहा कि जब कोई व्यक्ति तीर्थ, यज्ञ, हरि कथा और अन्य सत्कर्मों में लगा रहता है तो जितनी देर वह उसमें जुड़ा होता है, उसे अपने समय के बीतने का पता नहीं लगता है। भजन में लग रहे लोगों के भी दो प्रकार हैं। एक वह जो इसमें डूब जाते हैं और दूसरे वह हैं जो इसका केवल प्रदर्शन करते हैं।
पूज्य श्री ने कहा कि भक्ति कोई क्रिया नहीं है और अगर इसमें क्रिया सम्मिलित है तो वह भक्ति नहीं है। क्रिया के साथ की जाने वाली भक्ति को कर्मकांड कहते हैं। कुछ लोग भगवान का दर्शन करने जाते हैं और कुछ लोग वहां प्रदर्शन करने जाते हैं। दर्शन करने वाला भगवान को देखा है और प्रदर्शन करने वाला जो करता है उसको दूसरे देखते हैं।
महाराज जी ने कहा कि संस्कारों के लिए स्वयं के आचरण से बच्चों को समझाया जाता है। बालकों को यदि हम कोई संदेश देना चाहें तो वे नहीं मानते हैं,लेकिन जैसा हम करते हैं बच्चे भी वैसा ही करते हैं। यदि हम क्रोध करेंगे तो वे क्रोध करेंगे और कीर्तन करेंगे वे भी कीर्तन करेंगे,इसलिए बच्चों को हम अपने आचरण से समझाएं। भगवान भोलेनाथ के इष्ट बालक राम हैं, बालकों में बड़ी निर्मलता होती है। बच्चों की बाललीला ब्रह्मभाव की होती है।
पूज्य श्री ने कहा कि जैसे गंगा जी जहां जहां प्रवाहित होती हैं, उस क्षेत्र को पावन कर देती हैं। ठीक उसी प्रकार जहां जहां कथा रस की वर्षा होती है, वहां के वातावरण और भगवतजनों को आलोकित कर देती है। भगवान भोलनाथ भी रामकथा को कामधेनु कहते हैं। रामकथा सुनने मात्र से सारे सुख प्रदान कर देती है, लेकिन कथा सत्संग का फल सत्कर्मों में निरन्तर गति रखने से मिलता है। बिना सत्संग के विवेक जाग्रत नहीं होता है। जब विवेक जाग्रत हो जाता है तो साधक यजन में और भगत भजन में लीन हो जाता है। जितना विश्वास बढता जाता है, श्रद्धा भी उतनी ही बढ़ती जाती है। भगवत भक्ति श्रद्धा और विश्वास के परिणय से होती है।जीवन में जिसके प्रति हम श्रद्धा रखते हैं, उसका हम आदर करते हैं।
प्रसंग का गायन करने के क्रम में पूज्य महाराज श्री ने कहा कि पीठ पीछे जिसकी प्रशंसा होती है, वही वास्तव में प्रशंसा पाने के योग्य है। सम्मुख प्रशंसा तो लोग भय अथवा लोभ के कारण भी करते रहते हैं। सद्ग्रन्थ में कही गई बातें इसलिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि इसे कहने वाले लोग सामान्य नहीं थे। क्या कहा गया यह भी महत्वपूर्ण नहीं है, लेकिन किसके द्वारा कहा गया यह महत्वपूर्ण है। भारतीय संस्कृति का एक सहज स्वभाव है की मूल में कोई भूल नहीं होनी चाहिए। हमें अपने जीवन में यह अवश्य चिंतन करना चाहिए कि हम इतने लोगों के लिए मरते खपते हैं लेकिन हमारे लिए कौन? अगर आपके जीवन में आपके लिए चिंतन करने वाला कोई एक भी व्यक्ति है तो आप बड़े सौभाग्यशाली व्यक्ति हैं।
बिना शांत रहे भजन नहीं .....
महाराजश्री ने कहा कि बिना शांत रहे भजन नहीं होता है। मन में यदि शांति नहीं हैं तो न चिंतन होता है और न कथा में मन लगता है। जब मन मस्तिष्क में बहुत सारे घटनाक्रम एक साथ चलते हैं तो मन शांत नहीं रहता है। फिर ऐसे में हम बच्चों को शांत रहने के लिए तो कह सकते हैं लेकिन खुद शांत नहीं रह सकते, क्योंकि शांति के लिए मन को एकाग्र करना बहुत जरूरी है। हमारे चित्त में जितनी निर्मलता रहेगी,मन भी उतना निर्मल हो जाता है। मन शुद्ध अन्न से बनता है। इसलिए कहते हैं जैसा खाओगे अन्न, वैसा बनेगा मन, जैसा पीओगे पानी, वैसी बनेगी वाणी।
उन्होंने बताया कि जो हम संसार को देते हैं,वही हमें बदले में प्राप्त होता है। हम ईमानदार हैं यह भाव अच्छा है,लेकिन इसका अर्थ यह नहीं हैं कि बाकी लोग ईमानदार नहीं हैं, इसलिए हम ईमानदार हैं। हम भक्त हैं ऐसा अहंकार न पालें। उन्होंने बताया कि यह संसार तब तक सत्य है जब तक परमात्मा का बोध नहीं होता है,लेकिन जब हम यह जान लेते हैं कि इस संसार को बनाने वाले जगदीश है। परमात्मा का वास्तविक प्रबोधन हो जाए तो हमें यह जगत संसार मिथ्या लगने लगता है। हम इस संसार से धेला भी लेकर नहीं जाएंगे, यह ज्ञात होते ही परमात्मा में प्रीत बढ़ जाती है।
महाराज श्री ने कई सुमधुर भजनों से श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। बड़ी संख्या में उपस्थित रामकथा के प्रेमी, भजनों का आनन्द लेते हुए झूमते नजर आए।
ममता चैरिटेबल ट्रस्ट के तत्वावधान में सी एम एस विद्यालय के मैदान में आयोजित नौ दिवसीय श्रीराम कथा के चौथे दिन पूज्य महाराज श्री ने व्यासपीठ से कथा वाचन करते हुए उक्त बातें कहीं।
अलख जगाने के लिए सुप्रसिद्ध
महाराज श्री ने कहा कि यह हमारा सौभाग्य है कि आज हमारे साथ हमारे देश के प्रधानमंत्री के रूप में एक ऐसे व्यक्ति नेतृत्व कर रहे हैं जिन पर जनता का भरोसा है तभी तो घर-घर घड़ी घंटाल बजे, इसी प्रकार जब अयोध्या जी में रामचंद्र जी का जन्म हुआ तुम केवल राजमहल में ही नहीं बल्कि पूरे अवधपुरी में घर-घर में बधाइयां बजने लगीं।
बड़ी संख्या में विशिष्ट जन उपस्थित रहे हजारों की संख्या में उपस्थित श्रोता गण को महाराज जी के द्वारा गाए गए दर्जनों भजनों पर झूमते हुए देखा गया।
कथा से पूर्व आज सुबह महाराज श्री ने प्रेस के साथियों के साथ मुलाकात में कहा कि देश और सनातन संस्कृति के सम्मान से खिलवाड़ करना बहुत ही गलत बात है। संवाददाताओं के सवालों का उत्तर देते हुए पूज्यश्री ने कहा कि भगवा हमारे लिए। शौर्य, सम्मान और विरक्त भाव से जुड़े लोगों के प्रति सम्मान दर्शाने वाला रंग है। किसी भी प्रकार से चाहे कोई फिल्म बनाकर करें या जिस किसी भी तरह से करें अगर वह सनातन संस्कृति का मखौल उड़ाने की कोशिश करता है तो वह अपराधी है और उसे कानून के दायरे में उचित दंड दिया जाना चाहिए।
नर सेवा नारायण सेवा की पर्याय बन चुकीं ममता चैरिटेबल ट्रस्ट के तत्वावधान में आयोजित श्री राम अमृत महोत्सव के चौथे दिन श्याम नंदन, प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य,ऊर्जा एवं नगर विकास मंत्री अरविंद शर्मा,विधान परिषद सदस्य मुकेश शर्मा,सहकारिता मंत्री जेपीएसस राठौर, भाजपा नेता अपर्णा यादव, भाजपा प्रदेश कार्यालय प्रभारी भारत दीक्षित,प्रदेश महामंत्री संजय राय ,लोकप्रिय चिकित्सक डॉ सुनील प्रधान,सहित प्रदेश के प्रतिष्ठित डॉक्टर,शिक्षक,प्रशासक,एवं व्यवसायी उपस्थित होकर महराज जी का आशीर्वाद प्राप्त किया। साथ ही चीफ ट्रस्टी राजीव मिश्रा ने सभी अतिथियों का अभिनंदन किया।
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