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संवाददाता/लखनऊ
सिखों के चौथे गुरु साहिब श्री गुरू रामदास जी महाराज का प्रकाश उत्सव (जन्मोत्सव) दिनांक 30.10.2023 को श्री गुरू सिंह सभा, ऐतिहासिक गुरूद्वारा नाका हिन्डोला, लखनऊ में बड़ी श्रद्धा एवं सत्कार के साथ मनाया गया।
इस अवसर पर शाम का विशेष दीवान रहिरास साहिब के पाठ के उपरान्त हजूरी रागी भाई राजिन्दर सिंह जी ने
"राम दास सरोवर नाते, सब उतरे पाप कमाते।।"
गायन किया और संगत को नाम सिमरन करवाया। रागी भाई गुरमीत सिंह जी उना साहिब वालों ने अपनी मधुरवाणी में शबद
(1)- " सा धरती भइी हरियावली जिथै मेरा सतिगुरु बैठा आइि।।"
शबद कीर्तन गायन कर समूह संगत को निहाल किया। मुख्य ग्रन्थी ज्ञानी सुखदेव सिंह जी ने साहिब श्री गुरू रामदास जी महाराज के प्रकाश उत्सव पर व्याख्यान करते हुए कहा कि आप का जन्म 1534 को चूना मण्डी लाहौर (पाकिस्तान) में हुआ था। आपके पिता का नाम श्री हरदास जी और माता जी का नाम दया कौर जी था। छोटी उम्र मे आप के माता-पिता का निधन हो गया तो आपकी नानी जी आपको लेकर ‘‘बासरके‘‘ में आ गयी। यहाँ आकर आपने घुँघनियां (उबला हुआ चना) बेचना शुरु कर दिया। श्री गुरु अमरदास जी के दर्शन कर तन-मन से उनकी सेवा और गुरु की बाणी पढ़ते और सिमरन करते रहे। गुरु अमरदास जी ने आपको ‘‘गुरु का चक्क‘‘ बसाने का कार्य सौंपा। बाबा बुड्ढा जी को साथ लेकर पहले सरोवर की खुदाई की और नींव रखी। दुख भंजन बेरी के पास एक सरोवर बनवाया जिसमें सच्चे मन से स्नान करने पर दुःख और रोग दूर होे जाते हैं। जो आज एक महान तीर्थस्थल (श्री अमृतसर) हरिमन्दिर साहिब के नाम से प्रसिद्ध है। जहाँ देश विदेश से श्रधालु आकर दर्शन करते हैं और सच्चे मन से पवित्र सरोवर में स्नान करके दुःख एवं कष्टों से मुक्ति पाते हैं। सिमरन साधना परिवार के बच्चे ने भी शबद “धनुं धनुं रामदास गुरु जिन सिरिआ तिनै सवारिआ।।“
गायन कर संगत को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम का संचालन सतपाल सिंह ने किया।
दीवान की समाप्ति के उपरान्त लखनऊ गुरुद्वारा प्रबन्धक कमेटी के अध्यक्ष स0 राजेन्द्र सिह बग्गा जी ने समूह संगत को साहिब श्री गुरू रामदास जी के प्रकाश उत्सव (जन्मोत्सव) की बधाई दी और तत्पश्चात् समूह संगत में खीर एवं गुरु का लंगर वितरित किया गया।
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