लखनऊ संवाददाता
श्री गुरुनानक गर्ल्स डिग्री कॉलेज लखनऊ में भारतीय सरकार युवा कार्यक्रम खेल मंत्रालय, राष्ट्रीय सेवा योजना का प्रथम एक दिवसीय शिविर का आयोजन महाविद्यालय में किया गया। इस एकदिवसीय शिविर को "पर्यावरण को सुरक्षित रखने व वृक्षारोपण" पर एक "संगोष्ठी" के रूप में किया गया। जिसके मुख्य वक्ता " सुबोध कुमार श्रीवास्तव (संस्थापक एवं अध्यक्ष, राष्ट्रीय मानवाधिकार सुरक्षा परिषद लखनऊ ) व कीर्ति सिंह (राष्ट्रीय महासचिव, राष्ट्रीय मानवाधिकार सुरक्षा परिषद, लखनऊ) जी रहे। सत्र का उद्घाटन सर्वप्रथम मां सरस्वती की वंदना एवं राष्ट्रीय सेवा योजना के लक्ष्य गीत से किया गया। महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ सुरभि जी गर्ग ने मुख्य अतिथि को प्रकृति का प्रतीक एक पौधा भेंट देकर उनका सम्मान व अभिनंदन किया। तत्पश्चात महाविद्यालय की प्राचार्या ने छात्राओं को आशीष वचन दिया और राष्ट्रीय सेवा योजना के विषय में स्वयं को जागरूक रखने और राष्ट्रीय सेवा योजना के प्रमुख उद्देश्य "मैं नही पहले आप" और सामूहिक रूप में राष्ट्र की सेवा करने के बारेँ में बताया तथा सभी कार्यक्रम अधिकारियों का सूक्ष्म परिचय दिया।इसी सत्र में सुबोध कुमार श्रीवास्तव जी ने पर्यावरण संरक्षण के विषय में स्वयं सेविकाओं को जानकारी दी कि कोविड की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए, ऑक्सीजन लेने के लिए पेड़ों को लगाए, एवं उन्हें बताया कि किस प्रकार हम प्लास्टिक को हटाकर पर्यावरण को बचा सकते हैं। महोदय ने अपने कार्यक्रम के मुख्य उद्देश्य " जब कोई न सुने, तो हमे चुने " के बातें में बताया। इसके पश्चात राष्ट्रीय सेवा योजना की कार्यक्रम अधिकारी डा रंजीत कौर ने राष्ट्रीय सेवा योजना के स्थापना दिवस के विषय में छात्राओं को अवगत कराया और राष्ट्रीय सेवा योजना के एक दिवसीय शिविर और विशेष शिविर के संबंध में जानकारी दी। कार्यक्रम अधिकारी डॉ पूजा सिंह ने छात्राओं को श्रम का महत्व बताया और कहा कि सभी स्वयंसेविकाओं को प्रतिवर्ष शैक्षणिक सत्र में 120 घंटे श्रम कार्य करना आवश्यक है। डॉ कीर्ति पटेल ने NSS की दिनचर्या, लक्ष्यों व उद्देश्यों को बताया। राष्ट्रीय सेवा योजना की चारों इकाइयों की स्वयंसेविकाओं ने इस प्रथम एक दिवसीय शिविर में बढ़-चढ़कर प्रतिभागिता की। सम्पूर्ण कार्यक्रम NSS कार्यक्रम अधिकारियों डॉ रंजीत कौर, डा पूजा सिंह, डा दिव्या प्रजापति और डा कीर्ति पटेल के निर्देशन में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।
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