संवाददाता :लखनऊ
लखनऊ: अन्तर्राष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान, संस्कृति विभाग, उत्तर प्रदेश, लखनऊ के तत्वावधान में आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में 'सर्वपंथीय अभियान धर्मचक्र प्रवर्तन शांति उपवन, बौद्ध विहार के धम्मा हाल में संस्थान के अध्यक्ष, भदंत शांति मित्र की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। कार्यक्रम का आरंभ भगवान बुद्ध की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन, विजय महामंत्र एवं बुद्ध वंदना के साथ हुआ।इस कार्यक्रम में संस्थान के अध्यक्ष भदंत शांति मित्र जी, चतुर्मास प्रवास कर रहे जैन संत आचार्य विशद सागर जी, प्रो० (डॉ0) अभय कुमार जैन, उपाध्यक्ष, उत्तर प्रदेश जैन विद्या शोध संस्थान, स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती महामंत्री अखिल भारतीय संत समिति, अशोक तिवारी जी, संतोष दासखामी जी , आर्य समाज से पूज्य स्वामी वेदामतानंद सरस्वती जी, पूज्य राम खेलावन जी, पूज्य असंगदेव जी महाराज, संस्थान के सदस्य भिक्षु देव आनंद वर्धन, भिक्षु शील रतन, तरुणेश बौद्ध जी, सरदार मंजीत सिंह, अध्यक्ष, राष्ट्रीय सिक्ख संगत उत्तर प्रदेश सरदार गुरमीत सिंह जी, सरदार रणवीर सिंह, पूज्य स्वामी विद्यानंद सरस्वती , पूज्य धर्मेन्द्र दास, पूज्य आशुतोशाम्बर जी महाराज, पूज्य महादेव बाबा, श्री अरुणेश मिश्र, डॉ0 धीरेन्द्र सिंह, डॉ० राकेश सिंह, निदेशक, संस्थान आदि अनेक सर्वपंथीय विद्वानों ने अपने विचार व्यक्त किये।संस्थान के मा० अध्यक्ष, भदंत शांति मित्र ने कहा कि सर्वधर्म समभाव भारतीय संस्कृति का प्रमुख अंग है, प्रेम एवं करुणा का संदेश तथा शांति और सत्य के उपदेश हमारी पारम्परिक संस्कृति को शुद्ध करते हैं। जैन संत आचार्य विशद सागर जी ने विभिन्न पंथों के संतों की महत्ता पर प्रकाश डाला और बताया की भारत भूमि को माँ का दर्जा प्राप्त है और यहाँ पैदा होने वाले सभी पंथों में भाईचारा व्याप्त है। कबीरपंथी संत गुरु असंगदेव जी ने कहा कि सभी पंथों के धर्मगुरु एक साथ बैठकर विचार-विमर्श करें तो भारत की सभी समस्याओं का समाधान निकल आएगा। मा० अशोक तिवारी जी ने कहा कि सभी पंथों के संस्कार एक हैं, सभी संस्कृति एक है, हमें पश्चिमी सभ्यता से बचाना चाहिए। प्रोफेसर डॉ० अभय कुमार जैन जी ने अहिंसा के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अहिंसा भारतीय संस्कृति का मूल आधार है। संस्थान के निदेशक, डॉ० राकेश सिंह जी ने संस्थान की गतिविधियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति को अपनाकर सम्पूर्ण विश्व में शांति स्थापित की जा सकती है। तरुणेश बौद्ध जी ने भारतीय संस्कृति के नैतिक मूल्यों को अपनाने पर बल दिया। इस कार्यक्रम में आये सभी पंथों के धर्मगुरुओं ने कहा कि भारतीय संस्कृति परस्पर प्रेम, सद्भाव एवं भाईचारे की भावना विकसित करती है, जीव का जीव के प्रति दया एवं करुणा का भाव सिखाती है, परस्पर प्रेम का सन्देश देती है और एक साथ मिलकर चलना सिखाती है। इस प्रकार भारतीय संस्कृति को अपनाने से संपूर्ण विश्व का कल्याण होगा। इस 'सर्वपंथीय अभियान' धर्मचक्र प्रवर्तन कार्यक्रम में विभिन्न पर्थो के लगभग 300 से अधिक अनुयायी उपस्थित थे। यह कार्यक्रम अपने ढंग का अत्यंत नया मानवता एवं मानवीय मूल्यों की रक्षा करने वाला भारतीय संस्कृति का वैश्विक कार्यक्रम था। अंत में निदेशक संस्थान, डॉ० राकेश सिंह ने कार्यक्रम में आए हुए गणमान्य अतिथियों, बौद्ध भिक्षुओं, वक्ताओं, मीडिया कर्मियों एवं विद्वानों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए धन्यवाद ज्ञापित किया।
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