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रामदास अठावले को राजनीति छोड़कर कॉमेडियन बन जाना चाहिए:रोहित अग्रवाल

 लखनऊ/संवाददाता 


 राष्ट्रीय लोक दल व्यापार प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष रोहित अग्रवाल ने रामदास अठावले के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि रामदास अठावले को राजनीति छोड़कर कॉमेडियन बन जाना चाहिए। रामदास अठावले का राजनीतिक अनुभव अभी इतना नहीं है, वह केवल मौकापरस्त हैं। उन्हें न ही गठबंधन से कोई लेना-देना है न ही जनता से।  राष्ट्रीय लोक दल व्यापार प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष रोहित अग्रवाल ने आगे कहा कि रामदास अठावले को अपनी पार्टी की चिंता करनी चाहिए। कहीं ऐसा ना हो कि चिराग पासवान की पार्टी लोजपा की तरह उनकी पार्टी (रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया) का भी भाजपा में विलय हो जाए। रामदास अठावले को गठबंधन की चिंता नहीं करनी चाहिए, राष्ट्रीय लोक दल गठबंधन के साथ मजबूती से खड़ा है। 14 तारीख को होने वाली बैठक में माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी स्वयं शामिल हो रहे हैं। पिछली बार बैठक में शामिल न हो पाने को लेकर रोहित अग्रवाल ने बताया कि  राष्ट्रीय अध्यक्ष निजी कारणों से बाहर थे, जिसके चलते बैठक में शामिल नहीं हो पाए थे। उन्होंने पत्र के माध्यम से एकजुट नेतृत्व के लिए शुभकामनाएं दीं थी।उन्होंने आगे कहा कि रामदास अठावले बयानबाजी न करें, तो ही बेहतर है। अगर रामदास अठावले को बयान देने का इतना ही शौक है, तो वह भारतीय जनता पार्टी द्वारा किए जा रहे जन विरोधी व किसान विरोधी कार्यों पर बयान दें, बेरोजगारी पर बयान दें और जो कानून व्यवस्था ध्वस्त चल रही है, उसको लेकर कुछ बोलें। वह वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन में सत्ता की मलाई चाट रहे हैं, लेकिन उनको इस बात से सचेत रहना चाहिए, कि भारतीय जनता पार्टी जिस पार्टी को भी अपने साथ जोड़ती है, उसका स्वयं में विलय करके पार्टी का अस्तित्व ही खत्म कर देती है। दूसरों पर टीका टिप्पणी करने से अधिक बेहतर होगा कि अपनी पार्टी का ध्यान रखें। रोहित अग्रवाल ने ओमप्रकाश राजभर के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि राजभर की दशा और दिशा दोनों खराब हैं। ओमप्रकाश राजभर अब न तो पक्ष के रह गए हैं और न ही विपक्ष के रह गए हैं। वर्तमान में ओमप्रकाश राजभर के पास पैर रखने भर की भी राजनीतिक जमीन नहीं बची है। वह राष्ट्रीय लोक दल की चिंता छोड़ें। उनके 6 विधायक किसी भी समय भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो सकते हैं, वे लगातार बीजेपी के संपर्क में है। कहीं ऐसा न हो कि विधायक अपने साथ-साथ पार्टी को भी भाजपा में विलय करा दें।

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