लखनऊ/ संवाददाता
09.07.2023 दिन रविवार को भाई मनी सिंह जी का शहीदी दिवस श्री गुरू सिंह सभा, ऐतिहासिक गुरूद्वारा श्री गुरु नानक देव जी नाका हिंडोला, लखनऊ में बड़ी श्रद्धा एवं सत्कार के साथ मनाया गया।
इस अवसर पर प्रातः का दीवान श्री सुखमनी साहिब जी के पाठ से आरम्भ हुआ उसके उपरान्त रागी जत्था भाई राजिन्दर सिंह जी आसा की वार का अमृतमयी कीर्तन गायन कर संगत को निहाल किया। मुख्य ग्रन्थी ज्ञानी सुखदेव सिंह जी ने भाई मनी सिंह जी के शहीदी दिवस का इतिहास वर्णित करते हुए बताया कि भाई मनी सिंह का जन्म 1644 को गांव अलीपुर, जिला मुज्जफरगढ़, मुल्तान (पाकिस्तान) में हुआ था। आपके पिता का नाम माईदास जी और माता मधरी बाई जी था। भाई मनी सिंह के परिवार को गुरु घर से कितना प्यार और लगाव था। भाई मनी सिंह के 12 भाई हुए जिनमें 12 के 12 की शहीदी हुई, 9 पुत्र हुए 9 के 9 पुत्र शहीद। इन्हीं पुत्रों में से एक पुत्र थे भाई बचित्र सिंह जिन्होंने नागणी बरछे से हाथी का मुकाबला किया था। दूसरा पुत्र उदय सिंह जो केसरी चंद का सिर काट कर लाया था। 14 पौत्र भी शहीद, भाई मनी सिंह जी के 13 भतीजे शहीद और 9 चाचा शहीद जिन्होंने छठे पातशाह की पुत्री बीबी वीरो जी की शादी के समय जब फौजों ने हमला कर दिया तो लोहगढ़ के स्थान पर जिस सिक्ख ने शाही काजी का मुकाबला करके मौत के घाट उतारा वो कौन था, वे मनी सिंह जी के दादा जी थे। दादा के 5 भाई भी थे जिन्होंने ने भी शहीदी दी। ससुर लक्खी शाह वणजारा जिसने गुरु तेग बहादुर जी के धड़ का अंतिम संस्कार अपने घर को आग लगा कर किया वे भी शहीद हुए। 18वीं शताब्दी के सिख विद्वान तथा शहीद थे। जब उन्होंने इस्लाम स्वीकर करने से मना कर दिया तो मुगल शासक ने उनके शरीर के सभी जोड़ों से काट-काट कर उन्हें शहीद कर दिया। कार्यक्रम का संचालन सतपाल सिंह ने किया।लखनऊ गुरुद्वारा प्रबन्धक कमेटी के अध्यक्ष स0 राजेन्द्र सिंह बग्गा जी ने भाई मनी सिंह जी के शहीदी दिवस पर अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किये। उसके उपरान्त छोले ब्रेड का लंगर संगत में वितरण करवाया गया।
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