लखनऊ/संवाददाता
आज हम सभी तदर्थ शिक्षकों का याचना कार्यक्रम का 33 वा दिन और उपवास का 19 वां दिन है पर अभी तक सरकार हमारी मांगों पर कोई विचार नहीं कर रही है जबकि हम सभी लगातार माध्यमिक शिक्षा निदेशालय शिविर कार्यालय पार्क रोड पर वर्षो से अकारण अवरुद्ध वेतन के लिए याचना और उपवास का कार्यक्रम बजरंगबली की आराधना कर दिनभर सीताराम नाम के जाप से प्रभु की शरण में वेतन के लिए और सेवा सुरक्षा के लिए याचना कर रहे हैं माध्यमिक तदर्थ शिक्षक संघर्ष समिति के प्रदेश संयोजक राजमणि सिंह ने बताया अब सरकार के पास पर्याप्त स्वतंत्रता है और सुप्रीम कोर्ट का निर्देश भी प्राप्त है सरकार चाहे तो हम सभी को 33(छ)के संशोधन अध्यादेश लाकर विनयमिती करण भी कर सकती है और सुप्रीम कोर्ट ने वेतन देने का आदेश भी कर दिया है* जो कि लगातार हम सभी शिक्षक साथी सरकार और अधिकारियों से यही कहते आ रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने कहीं से भी कोई हम सभी के खिलाफ एडवर्स ऑर्डर नहीं किया है इसलिए सरकार को मानवीय संवेदनाओं के आधार पर हम सभी तदर्थ शिक्षकों का बीच-बीच में विभिन्न सरकारे नियम अधिनियम बनाकर इस प्रकार के शिक्षकों को विनियमितीकरण करती रही है उसी प्रकार से 33 (छ)का प्रयोग करते हुए धारा 8 का विलोपन कर अब सरकार और शासन पूरी तरह से स्वतंत्र है और हम सभी का विनियमितीकरण भी कर सकती है और हम सभी का वेतन जारी करने का निवेदन करते है प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री योगी जी महराज जी से यही हम सभी का सरकार और शासन में बैठे उच्च अधिकारियों से हम सभी का प्रार्थना और निवेदन है जिस प्रकार से लगातार 25 वर्षों से पूर्ण मनोयोग से अध्यापन कार्य कर रहे तदर्थ शिक्षकों का 33 ज के तहत सरकार विनियमित कर सकती है जबकि ऐसा कई बार शिक्षा विभाग में अमेंडमेंट ला करके ऐसे पैरा टीचर को लाभ दिया विषय विशेषज्ञ को अमेलित किया इसी प्रकार से हम सभी को भी सरकार और शासन के पास अब पर्याप्त आधार है सुप्रीम कोर्ट की तरफ से पूर्ण स्वतंत्रता है चाहे तो अब कोई कोर्ट का अड़चन भी नही है सरकार हम सभी को विनियमित भी कर सकती है और सरकार को जल्द से जल्द हम सभी का वेतन निर्गत करना चाहिए अब किसी अधिकारी को कंटेमेंट का सामना नहीं करना पड़ेगा अब हम सभी पर योगी आदित्यनाथ जी महाराज द्वारा कृपा दृष्टि बनाकर हम सभी शिक्षकों को चाहे तो विनायमित कर सकते हैं और हम सभी की सेवा सुरक्षा भी कर सकते हैं और हम सभी जाए अपने-अपने विद्यालयों में जाकर पूर्ण मनोयोग से पढ़ा सके और वेतन प्राप्त करने के पश्चात अपने मां-बाप की दवाइयां बच्चियों की शादियां बच्चों के पढ़इयां और परिवार की परवरिश कर सकें।
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