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लखनऊ में माध्यमिक व्यवसायिक शिक्षक संघ उत्तर प्रदेश द्वारा अपनी मुख्य मांगों को लेकर दिया गया धरना

 लखनऊ: ।।संवाददाता;

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राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 के तहत प्रदेश के 992 राजकीय व सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में संचालित रोजगार परक शिक्षा को शासन सत्ता में संचालन की सम्पूर्ण व्यवस्था प्रधानाचार्यों के ऊपर डालकर इससे शिक्षा के उद्देश्यों से भटका दिया गया। प्रदेश के तमाम प्रधानाचार्यों ने इसके बावत अपने निजी स्वार्थो का प्रयोग किया सबसे बड़ा दुर्भाग्य यह है कि केन्द्र सरकार के नीति निर्देशक तत्वों के क्रम में जहाँ निदेशालय स्तर, जिला स्तर, विद्यालय स्तर पर व्यावसायिक प्रकोष्ठों का गठन करके इसके संचालन का शुभारम्भ किया जाना था उन्हीं उ0प्र0 सरकार ने केवल निदेशालय स्तर पर प्रकोष्ठ का गठन कर जिले व विद्यालय स्तर से प्रकोष्ठों का गठन न कर इसकी रीढ़ को तोड़ दिया जबकि राष्ट्र के अन्य प्रान्तों में व्यवसायिक शिक्षा का संचालन 1989 से पूर्णकालिक शिक्षकों से ही किया गया है पर

नौकरशाही लोकतंत्र हावी होने के कारण संगठन के संघर्षो से 2014 में शासन को प्रेषित प्रवक्ता वेतनमान का प्रस्ताव तत्कालीन  मुख्यमंत्री द्वारा प्रस्ताव कैबिनेट में मांगे जाने के बावजूद भी नहीं हो सका। यही स्थिति नौकरशाही में फसकर योगी जी की सत्ता में तत्कालीन  उपमुख्यमंत्री डा० दिनेश शर्मा ने व्यवसायिक शिक्षकों की पीड़ा को आत्मसात करते हुए व्यवसायिक शिक्षकों के मानदेय वृद्धि का प्रस्ताव  मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ से वार्ता के उपरान्त शासन को प्रेषित कराया था।


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